Pranayama For Beginners –
Dear Friends,RCM gurukul पर आपका स्वागत हे Iआज के लेख में हम Pranayama For Beginners की जानकारी प्राप्त करेंगे और 7 प्राणायाम जो हमे हर रोज करने चाहिए उनके बारे में Detail में जानकारी प्राप्त करेंगे Iइस लेख के Last में आपके लिए एक FREE GIFT हे जो आपको निरोग बनाने में सहायता कर सकती हे I
प्राणायाम क्या हे ?
प्राणायाम एक प्राचीन भारतीय योग प्रणाली है जिसमें श्वास और प्राण को नियंत्रित किया जाता है। इसका मतलब है ‘प्राण’ या ‘ऊर्जा’ को नियंत्रित करना । प्राणायाम में विभिन्न श्वास तकनीकें शामिल हैं जो सांस को नियंत्रित करने और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किये जाते हैं।
4 P About Pranayama-
हमे प्राणायाम के बारे में 4 P की जानकारी होना आवश्यक हे उसके बिना हम प्राणायाम से पूरा लाभ नहीं प्राप्त कर सकते पहला P हे PROCEDURE यानी हमे प्राणायाम करना केसे हे ,दूसरा P हे PERIOD यानी करने का समय कितना होना चाहिए ,तीसरा P हे PROFIT यानी हम किस लाभ को प्राप्त करने के लिए प्राणायाम कर रहे हें और चोथा P हे PRECAUTION यानि प्राणायाम को करते समय हमें कोन कोन सी सावधानियां रखनी चाहियें I इस जानकारी के बिना हम प्राणायाम से पूरा लाभ नहीं प्राप्त कर सकते I
- शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: प्राणायाम श्वास की गहराई को बढ़ाकर श्वास के प्रवाह को सुधारता है और शारीरिक तंतु-मासिक संतुलन को बनाए रखता है। इससे शारीरिक रोगों का सामना करना आसान होता है।
- मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: प्राणायाम में ध्यान और नियंत्रित श्वास के माध्यम से मानसिक स्थिति में सुधार होता है। यह तनाव को कम करने, मन को शांति प्रदान करने और मानसिक स्थिति को स्थिर करने में मदद करता है।
- प्राण शक्ति का विकास: प्राणायाम द्वारा प्राण शक्ति को जागरूक किया जा सकता है, जिससे शारीरिक और मानसिक क्षमताएं बढ़ सकती हैं।
- मन पर नियंत्रण : प्राणायाम और ध्यान के संयुक्त प्रयास से मन को नियंत्रित किया जा सकता है और आत्मा की ऊँचाई की दिशा में मदद कर सकता है।
7 प्राणायाम जो हमे हर रोज करने चाहिए
1.BHASTRIKA PRANAAM
भस्त्रिका प्राणायाम फेफड़ों के साथ आंख, कान और नाक के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी लाभदायक है। इस प्राणायाम से पाचन संस्थान, लीवर और किडनी की भी एक्सरसाइज हो जाती है। साथ ही मोटापा, दमा, टीबी और सांसों से जुड़े रोग दूर हो जाते हैं। मसल से जुड़े किसी भी रोग में भी भस्त्रिका प्राणायाम को लाभकारी माना गया है।
भस्त्रिका शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब होता है ‘धौंकनी’। धौंकनी के जरिए लोहार तेज हवा छोड़कर, लोहे को तपाता और उसकी अशुद्धियां दूर करता है। उसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम शरीर के अंदर मौजूद सभी नकारात्मकता और अशुद्धता को खत्म करने के लिए धौंकनी का काम करता है। दुनियाभर में प्रदूषण का स्तर प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से हमारे फेफड़ों में दूषित हवा, धूल-मिट्टी और अशुद्धियां घर कर लेती हैं। ऐसे में भस्त्रिका प्राणायाम करना आपके लिए अत्यंत लाभदायक होता है।
किसी भी शांत वातावरण में सिद्धासन, वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाएं। इसके बाद अपनी आंखें बंद करें और थोड़ी देर के लिए अपनी शरीर को शिथिल कर, अपना मुंह बंद कर लें। अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें। धीरे-धीरे सांस खींचते हुए अपनी सांस को बलपूर्वक छोड़ दें।
अब अपनी सांस बलपूर्वक खींचे और वैसे ही उसे छोड़ें।
भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त धौंकनी की तरह आपको अपनी छाती को फुलाना और पिचकाना है।
सावधानियां
- अगर आपको हाई बीपी की समस्या है तो डॉक्टर की सलाह के बिना यह प्राणायाम न करें।
- भस्त्रिका प्राणायाम करने से ठीक आधा घंटे पहले और आधा घंटे बाद पानी न पिएं।
- अगर आपको पानी की खास जरूरत महसूस हो रही है, तो प्राणायाम करने के बाद गुनगुने पानी का केवल 2 सिप पिएंI
भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ
पेट की चर्बी होगी कम: भस्त्रिका प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जिसे लगातार करने से पेट की चर्बी कम हो जाती हे I
- घटता है वजन: प्रतिदिन अगर इस प्राणायाम को 10 से 15 मिनट किया जाए तो इससे आपका वजन भी कम होता है।
- बढ़ती है भूख: लगातार भस्त्रिका प्राणायाम से आपको समय-समय पर भूख लगेगी।
- शरीर में देता है गर्मी-यह शरीर में गर्मी पैदा करता है।
- श्वास समस्या को करता है दूर: श्वांस संबंधित समस्यों को दूर करने के लिए यह सबसे अच्छा प्राणायाम है।
2 .कपालभाती प्राणायाम
कपालभाति करने के लिए पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों से ध्यान मुद्रा बना लें। सांस को बाहर छोड़ें तो आपका पेट अपने आप अंदर जाएगा आपको एक सेकंड में ये क्रिया एक बार करनी है। अगर आप कपालभाति करने की शुरुआत कर रहे हैं तो 5- मिनट ही अभ्यास करें और समय के साथ अभ्यास5-5-5 मिनट तक बढ़ाएं।कपालभाती करते समय आपकी कमर और गर्दन सीधी होनी चाहिए I
कपालभाती प्राणायाम के लाभ
कपालभाति डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत बनाकर गैस, एसिडिटी, कब्ज जैसी समस्याओं में भी राहत देता है। कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों, स्प्लीन, लीवर, पैनक्रियाज के साथ-साथ दिल के कार्य में सुधार करता है। यह न केवल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है बल्कि धमनी के अवरोध को दूर करने में भी मददगार हैI
सावधानियां
कपालभाति प्राणायाम खाना खाने के 4 घंटे बाद किया जाना चाहिए। यदि आप का बीपी हाई है या आपको हर्ट की कोई प्रॉब्लम है तो आपको कपालभाती धीमी गति से करना चाहिए Iयदि कमर दर्द हे तो भी धीमी गति से करना चाहिए I
3.अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम मन और शरीर को शांत करने के लिए किया जाता है। इस योग को हम अपनी अंगुलियों की मदद से दाएं और बाएं नोस्ट्रिल्स के बीच बारी-बारी से करते हुए गहरी सांस लेने और छोड़ने के माध्यम से कर सकते हैं। इस प्राणायाम में 2 सेकंड में साँस लेना हे और 2 सेकंड में ही छोड़ना हे Iएक चक्र 8 -10 सेकंड में पूरा हो जाता हे .कुल हमे 5-5-5 मिनट करके 15 मिनट करना हे I
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ
अनुलोम विलोम (Anulom Vilom In Hindi) का नियमित अभ्यास बंद नाड़ियों को खोलने और दिमाग को शांत करने में मदद करता है।जैसे-जैसे आप अपनी श्वास पर अधिक जागरूकता और नियंत्रण प्राप्त करते हैं, आप महसूस कर सकते हैं कि इसका तत्काल शांत प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता हैIजैसे-जैसे आप अपनी श्वास पर अधिक जागरूकता और नियंत्रण प्राप्त करते हैं, आप महसूस कर सकते हैं कि इसका तत्काल शांत प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास सुबह सबसे पहले करने से आपके दिन की शुरुआत एक बेहतर तरीके से करने में मदद मिल सकती है। यह बेहतर नींद को बढ़ावा देने के लिए शाम को विश्राम विधि के रूप में भी काम कर सकता हैI
सावधानियां
अनुलोम विलोम प्राणायाम धीमी गति से करना चाहिए यदि आप का बीपी हाई है या आपको हर्ट की प्रॉब्लम है। धीरे धीरे अभ्यास होने के बाद ही हमें इसका समय बढ़ाना चाहिए।
4.भ्रामरी प्राणायाम
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लोगों के लिए रोजाना भ्रामरी प्राणायाम करना सेहत के लिए विशेष लाभदायक हो सकता है। इसे हमिंग बी ब्रीदिंग तकनीक के रूप में भी जाना जाता है, जो दिमाग को तुरंत शांत करने के लिए बहुत प्रभावी प्राणायाम है। भ्रामरी प्राणायाम आपके मन को शांत रखने, चिंता और क्रोध जैसी समस्याओं को कम करने में बेहद सहायक हो सकता है।
योग विशेषज्ञों के मुताबिक जिन लोगों को अक्सर तनाव की समस्या होती है, उनके लिए इस प्राणायाम का अभ्यास करना विशेष लाभदायक हो सकता है। नींद, ब्लड प्रेशर, तनाव जैसी समस्याओं को कम करने के लिए इस प्राणायाम को बेहद कारगर माना जाता है।
भ्रामरी प्राणायाम करने का तरीका
- सबसे पहले किसी शांत और अच्छी हवादार जगह पर बैठें और अपनी आँखें बंद कर लें।
- पहली ऊँगली माथे पर रखें, तीन उंगलियों से आंख बंद करें, अंगूठों से कान बंद करें जिससे ना तो बाहर की कोई चीज दिखाई दे और न ही सुने दे I
- अपना मुंह बंद रखते हुए नाक से ही सांस लें और छोड़ें। सांस छोड़ने के दौरान ऊँ का उच्चारण भी कर सकते हैं।
- इस प्रकिया को 5 से 7 बार दोहराएं।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ
- यह तनाव का सबसे अच्छा इलाज है। यह आपके मस्तिष्क को शांत बनाए रखने में मदद करता है।
- भ्रामरी प्राणायाम रक्तचाप को कम करता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर से राहत मिलती है।
- यह तनाव को दूर करता है, बेहतर नींद के लिए इसे रात्रिकालीन नियमित योग के रूप में शामिल किया जाता है।
- भ्रामरी प्राणायाम पीनियल और पिट्यूटरी ग्रंथियों को उत्तेजित करके उन्हें लाभ पहुंचाता है।
- भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास क्रोध को शांत करने में मदद करता है।
- यह हार्ट ब्लॉकेज को रोकता है।
- यह गहरी नींद को प्रेरित करने में मदद करता है।
सावधानियां
भ्रामरी प्राणायाम के वैसे तो कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं, हालांकि, इसका गलत ढंग से अभ्यास करने से कोई लाभ नहीं मिलता है। गर्भवती महिलाओं, कान में संक्रमण या कान में जलन, सीने में दर्द, हाई ब्लड प्रेशर या मिर्गी की समस्या के शिकार लोगों को भ्रामरी प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
5 .उद्गीथ प्राणायाम (ॐ का उच्चारण )
उद्गीथ प्राणायाम को “ओम का उच्चारण ” भी कहा जाता है। यह एक बहुत ही सरल प्रकार का प्राणायाम और ध्यान अभ्यास है। जो व्यक्ति सुबह उठकर हर रोज उद्गीथ प्राणायाम का अभ्यास करता है, वह कई शारीरिक और आध्यात्मिक लाभों का आनंद पाता है। यह आपको चिंता, अपराधबोध, नाराजगी, उदासी और भय से निपटने में मदद करता है।
उद्गीथ प्राणायाम में आंखें बंद करके गहरा श्वास लेकर ओम का उच्चारण किया जाता है। इसके कारण व्यक्ति के चेहरे पर एक दिव्य निखार आता है। रोजाना इसका अभ्यास करने से शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
उद्गीथ प्राणायाम के लाभ
उद्गीथ प्राणायाम का अभ्यास तनाव, अवसाद और चिंता जैसी कई मानसिक समस्याओं से राहत दिलाने में कारगर है। अनिद्रा की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए इस प्राणायाम का अभ्यास करना लाभदायक है। यह प्राणायाम हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मिर्गी जैसे गंभीर रोगों के जोखिमों को कम करने में भी सहायक है
सावधानियां
ॐ का उच्चारण मध्यम गति और मध्यम बल से करें I
6.ॐ का ध्यान (Meditation)
यह एक धनात्मक प्राणायाम है। इसमें हम सुखासन, पदमासन या वज्रासन में बैठ करके ध्यान मुद्रा लगाते हैं। इसमें लंबा सांस लेते हैं, लंबा ही छोड़ते है और अपनी मन की आँखों से देखते हें चलती हुई सांसो को I मन ही मन ओम का ध्यान करते हैं। यह एक प्रकार की MEDITATION हे जो हमारे मन को शांत करती हे और हमारे तनाव और चिंता को मिटाती हे I
आज के माहौल में जब हम चारो तरफ तनाव से घिरे हुए हैं मेडिटेशन हमारे मन को शांत करके हमें बहुत सी बीमारियों से बचाती है Iहमे सावधानी ये रखनी हे कि Meditation करते समय हमारा ध्यान भटकना नहीं चाहिए इसके लिए हमे अपने सांसो पर ध्यान केन्द्रित करना हे I
7.उज्जायी प्राणायाम
आरामदायक, खुली जगह में सुखासन, पदमासन या वज्रासन में बेठिये ,कमर और गर्दन को सीधा रखिये गले को अंदर से टाइट करके साँस अंदर खेचिये एक विशेष आवाज पैदा होगी. इसे 5-7 बार कीजिये .दोनों हाथों से गले की मालिश कीजिये I
उज्जायी प्राणायाम के लाभ
उज्जायी प्राणायाम आवाज की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, जिससे एक सुखदायक और शक्तिशाली मधुर बनावट मिल सकती है। उज्जायी प्राणायाम हाइपोथायरायडिज्म के मामले में मदद कर सकता है, जो थायरॉयड ग्रंथि की सीमित गतिविधि के कारण होता है। उज्जयी प्राणायाम का अभ्यास करने से थायरॉइड फ़ंक्शन को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती हैIअस्थमा के मामले में उज्जायी प्राणायाम मददगार हो सकता हैIउज्जायी प्राणायाम उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों के लिए फायदेमंद हो सकता हैI
इन 7 प्राणायामों को अपने जीवन का हिस्सा बना कर हम निरोग रह सकते हें I
योग के लाभ जानने के लिए ये विडियो देखें
https://youtu.be/zA7camagW_Q
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